हमारे बारे में
डॉ. होमी जे. भाभा ने वर्ष 1965 में नाभिकीय भौतिकी में अनुसंधान हेतु साइक्लोट्रॉन के महत्व की परिकल्पना की थी एवं LBL K130 मशीन के समान ही K130 मशीन के निर्माण का निर्णय लिया गया था। वर्ष 1969 में भापअकें द्वारा कोलकाता (तब कलकत्ता) में इस विषय पर कार्य आरंभ किया गया था। इस मशीन को वर्ष 1977 में कमीशन किया गया था तथा 16 जून, 1977 को अल्फा कण का पहला बीम निष्कर्षित हुआ था।
केंद्र का लक्ष्य प्रयोगात्मक नाभिकीय भौतिकी, विकिरण क्षय अध्ययन तथा अनुसंधान एवं नाभिकीय औषधि के लिए आइसोटोप उत्पादन में अनुसंधान करना था। यह केंद्र जल्द ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरएफ इंजीनियरिंग तथा कंप्यूटेशन के लिए पूर्णत: डिजाइन एवं विकास सुविधाओं से युक्त राष्ट्रीय सुविधा का केंद्र बन गया। प्रयोगात्मक नाभिकीय भौतिकी के वैज्ञानिक को सहयोग प्रदान करने के लिए एक प्रभावशाली सैद्धांतिक वर्ग उभर कर सामने आया। अल्फा कण के पहले बीम निष्कर्षण की महत्वपूर्ण घटना की स्मृति में, वीईसीसी प्रतिवर्ष 16 जून को अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। मई, 1990 में यह केंद्र पऊवि का स्वतंत्र अनुसंधान एवं विकास संबंधी इकाई बन गया।
पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान के अन्य क्षेत्रों जैसे त्वरक डिजाइन एवं इससे संबंधित प्रौद्योगिकी विकास, क्रायोजेनिक, संसूचक के विकास में विशेषज्ञता हासिल की एवं वीईसीसी उच्च ऊर्जा भौतिकी तथा त्वरक प्रौद्योगिकी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक केंद्र के रूप में उभरा है। वीईसीसी का CERN, BNL, FAIR, TRIUMF, RIKEN, GANIL, DUBNA के साथ सक्रिय सहयोग है।
वर्तमान में वीईसीसी में 3 साइक्लोट्रॉन हैं - K130 साइक्लोट्रॉन जो 1977 से प्रचालनरत है, K500 अतिचालक साइक्लोट्रॉन जिसके द्वारा वर्ष 2009 में आंतरिक बीम को त्वरित किया गया था परंतु जांच करने पर इसमे प्राथमिक हार्मोनिक चुंबकीय क्षेत्र त्रुटि का पता चलने पर अब इसे ठीक किया जा रहा है ताकि प्रयोगों के लिए बीम को उपलब्ध कराया जा सके, तथा 30 MeVH- मेडिकल साइक्लोट्रॉन जो कि अभी संस्थापना के चरण में है।
बाह्य नाभिक के क्षेत्र में नाभिकीय भौतिकी को कार्यान्वित करने के लिए एक रेडियोसक्रिय आयन बीम सुविधा का निर्माण किया गया है जो कि आगामी मुख्य परियोजना जिसे अस्थिर व विरल आयन बीम हेतु प्रगत राष्ट्रीय सुविधा (अनुरिब) नाम से अत्यधिक जटिल त्वरक सुविधा के एक भाग के रूप में कार्य करेगा। वर्तमान में आरआईबी सुविधा का प्रयोग दोष संचरण तथा पदार्थ के पार्श्विक भौतिकी के अध्ययन के लिए किया जा रहा है।
केंद्र अत्याधुनिक उच्च निष्पादन कंप्यूटिंग सुविधा तथा नेटवर्क के व्यापक मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित है।
वीईसीसी होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (एचबीएनआई), डीम्ड विश्वविद्यालय, का एक संघटक संस्थान भी है।
वर्तमान में यह केंद्र तीन परिसरों से संचालित किया जाता है- बिधाननगर में - मुख्य परिसर, न्यू टाऊन, राजरहाट- आने वाली परियोजना का स्थल तथा चकगड़िया – क्षेत्रीय विकिरण औषधि केंद्र, जोकि ठाकुरपुकुर स्थित सरोज गुप्ता कैंसर केंद्र तथा अनुसंधान संस्थान में प्रचालित है, के साथ-साथ मेडिकल साइक्लोट्रॉन हेतु स्थल है।