निदेशक का संक्षिप्त परिचय

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डॉ.सुमित सोम, विशिष्ट वैज्ञानिक , को 13 जनवरी, 2020 से परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र (वीईसीसी) के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज, शिबपुर, (जिसे अभी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईआईईएसटी), शिबपुर के नाम से जाना जाता है) से इलेक्ट्रॉनिक्स और टेली-कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में स्नातक हैं।

वे वर्ष 1987 में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (भापअकें) के ट्रेनिंग स्कूल के 31वें बैच में शामिल हुए एवं वर्ष 1988 में इंजीनियरिंग ग्रेजुएट और साइंस पोस्ट-ग्रेजुएट (ओसीईएस) हेतु एक साल का ओरिएंटेशन कोर्स सफलतापूर्वक पूरा करने पर उन्हें स्नातक की उपाधि प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1988 में वैज्ञानिक अधिकारी/सी के पद पर परिवर्ती ऊर्जा साइक्लोट्रॉन केंद्र (वीईसीसी) में कार्यग्रहण किया तथा त्त्पश्चात, उन्होंने होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान, मुंबई से इंजीनियरिंग विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने वर्ष 1998-1999 के दौरान हाई एनर्जी एक्सलेरेटर ऑर्गनाइजेशन (उच्च ऊर्जा त्वरक संगठन,) केईके, जापान में एक आमंत्रित विदेशी शोधकर्ता के रूप में कार्य किया, तथा वे केईके-बी फैक्ट्री, केईके में एक इलेक्ट्रॉन-पॉज़िट्रॉन कोलाइडर, में सुपरकंडक्टिंग क्रैब कैविटी के विकास में शामिल थे। उन्होंने वर्ष 1995 में लेबरेटरियो डेल सूद (एलएनएस), इंस्टीट्यूटो नाज़ियोनेल डि फिसिका न्यूक्लेयर (आईएनएफएन), कैटेनिया, इटली में K800 सुपरकंडक्टिंग साइक्लोट्रॉन के आरएफ प्रणाली पर भी कार्य किया। डॉ. सोम ने कण त्वरक के कई क्षेत्रों, विशेषकर आरएफ प्रौद्योगिकी पर काम किया। इसमें साइक्लोट्रॉन हेतु उच्च शक्ति वाले सामान्य कंडक्टिंग आरएफ कैविटी, उच्च शक्ति वाले आरएफ एम्पलीफायर, एलएलआरएफ सिस्टम, सुपरकंडक्टिंग आरएफ कैविटी इत्यादि शामिल हैं। उन्होने, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, मेडिकल साइक्लोट्रॉन प्रोजेक्ट के रूप में, वर्ग का नेतृत्व करते हुए 5 बीम लाइनों के साथ 30MeV मेडिकल साइक्लोट्रॉन प्रणाली की संस्थापना तथा कमीशनिंग का कार्य किया एवं सफलतापूर्वक 15 से 30 MeV ऊर्जा के साथ प्रोटॉन बीम का निष्कर्षण किया, जिसमें विकिरण एवं आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड (ब्रिट) के सहयोगियों की मदद से रेडियो आइसोटोप / रेडियोफार्मास्युटिकल का परीक्षण उत्पादन शामिल है। इस आरएफ-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उनकी पर्याप्त विशेषज्ञता और कौशल के कारण, वे विभिन्न तकनीकी समितियों में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन्हें परमाणु ऊर्जा विभाग के कई तकनीकी उपलब्धि पुरस्कार, जैसे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता पुरस्कार-2008, वर्ष 2009, 2012, 2014 2016 और 2018 में वर्ग उपलब्धि पुरस्कार, इसके अलावा परमाणु ऊर्जा विभाग के चल रहे कार्यक्रमों में उन्हें उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी सम्मानित किया गया है।